RTI कार्यकर्ता हमले 2025
RTI कार्यकर्ता हमले 2025: Transparency और Accountability के लिए काम कर रहे RTI Activists पर हाल के दिनों में बढ़ते हमले भारत के लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा बन गए हैं। RTI कार्यकर्ता जो corruption को उजागर करने और public information को accessible बनाने में key भूमिका निभाते हैं, वे अब खुद unsafe महसूस कर रहे हैं।
2025 में RTI कार्यकर्ताओं पर होने वाले attacks ने इस मुद्दे को एक बार फिर national spotlight में ला दिया है। कई states में ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ इन कार्यकर्ताओं को धमकाया गया, पीटा गया या यहाँ तक की हत्या तक कर दी गई।
RTI Activist Attacks का मुख्य कारण यह है कि वे powerful लोगों और संगठनों की illegal activities को public domain में लाने की कोशिश करते हैं। इससे कई बार local politicians, mafias और corrupt अधिकारियों की पोल खुलती है।

हाल ही में Maharashtra, Bihar, और Uttar Pradesh जैसे राज्यों में RTI activists को जान से मारने की धमकी तक मिली है। इन धमकियों के बावजूद, बहुत सारे activists system से fight कर रहे हैं और सच को उजागर कर रहे हैं।
RTI कार्यकर्ता हमले 2025 में कुछ shocking cases भी सामने आए हैं। एक case में, एक RTI कार्यकर्ता ने land scam का खुलासा किया था, और कुछ ही दिनों बाद उसकी mysterious circumstances में मौत हो गई। पुलिस ने इसे accident बताया, लेकिन social activists का मानना है कि ये एक planned murder था।
RTI Activists की सुरक्षा के लिए अभी तक कोई concrete national level policy नहीं बनी है। हालांकि Supreme Court और कई High Courts ने activists की safety को लेकर निर्देश दिए हैं, लेकिन ground reality में implementation काफी कमजोर है।

RTI कार्यकर्ता हमले 2025 ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है – क्या democracy में सच बोलने की इतनी बड़ी सज़ा है? RTI कार्यकर्ता तो वही लोग हैं जो common लोगों के हक के लिए लड़ते हैं, फिर भी उन्हें ही protection नहीं मिलती।
RTI एक्ट 2005 के बाद transparency बढ़ी है, लेकिन साथ ही threats और attacks भी बढ़े हैं। RTI Act ने आम जनता को empowered किया है, लेकिन इससे जिन लोगों के गलत काम उजागर हुए हैं, वे अब इन RTI workers के खिलाफ violent हो चुके हैं।
2025 में अब तक 50 से ज़्यादा RTI कार्यकर्ता हमले की रिपोर्ट सामने आ चुकी है। इनमें से कई मामले अभी तक solve नहीं हुए हैं। पुलिस और प्रशासन पर आरोप है कि वे ऐसे मामलों को दबा देते हैं या सही से investigate नहीं करते।