भारत की सबसे ऊँची अदालत Supreme Court ने एक ऐसा फ़ैसला दिया है, जो देश के लिए बहुत बड़ा मोड़ माना जा रहा है। यह सिर्फ़ एक Case नहीं था, बल्कि ये लोगों के अधिकारों और आज़ादी से जुड़ा हुआ मुद्दा था.
कुछ लोग Court में पहुँचे और बोले कि एक पुराना Law उनके हक़ को तोड़ता है। उन्होंने कहा कि ये क़ानून उनके बोलने, सोचने और जीने की आज़ादी पर असर डालता है। याचिका में साफ़ लिखा गया कि ये Law संविधान के Fundamental Rights के ख़िलाफ़ है।
Supreme Court ने क्या कहा?
जजों ने बहुत ध्यान से सुना। Court ने कहा कि कोई भी Rule अगर लोगों की Personal Liberty और Equality को चोट पहुँचाता है, तो वो संविधान के खिलाफ़ है। उन्होंने ये भी कहा कि Democracy में लोग सबसे ऊपर होते हैं, क़ानून नहीं।
फ़ैसला क्या आया?
Court ने साफ़ कहा – ये क़ानून अब से Unconstitutional है। यानि अब ये Rule देश में लागू नहीं रहेगा। जजों ने बताया कि कोई भी Arbitrary Law, जो लोगों को दबाए, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
लोगों की प्रतिक्रिया
देश भर में लोग ख़ुश हो गए। Social Media पर Court की जमकर तारीफ़ हुई। एक यूज़र ने लिखा, “आज System ने दिखा दिया कि सच्चाई की जीत होती है।”
Special Bench की भूमिका
इस मामले को सुनने के लिए Supreme Court ने एक Special Constitutional Bench बनाई थी। इसमें 5 जज शामिल थे। उन्होंने तर्क और सबूत को ध्यान से देखा, और फिर एकमत से फ़ैसला सुनाया।
Government का जवाब